Monday, November 7, 2016

हम वीर शिवा के जाये हैं...........

हम वीर शिवा के जाये हैं
हम धीर प्रताप के जाये हैं

अग्रज मेरे यशस्वी दिनकर
कहो कौन है हमसे बढ़कर?
शस्य श्यामला की संतान हैं हम
देवों का वरदान हैं हम
सकल दासता के चंगुल से
यह देश बचा कर लाये हैं
हम वीर शिवा के जाये हैं.............

हम सावरकर हम सुभाष
हम तिलक हम जयप्रकाश
हम भगत सिंह हम आजाद
हम बिस्मिल हम जतिन्द्रनाथ
हर नाम श्वास में रहा निरंतर
हर स्वर ने इनको गाये हैं
हम वीर शिवा के जाये हैं.............

धमनियों में हमारे दावानल है
शोणित नहीं, यह दिव्यजल है
कायरता नहीं पराक्रम है
हुतात्माओं का ये क्रम है
इस सुखदां वरदां की धरती के
अन्न तो तुमने भी खाये हैं
हम वीर शिवा के जाये हैं.............

कर्तव्य तुम्हें भी याद रहे
स्वस्वार्थ देश के बाद रहे
धर्म राष्ट्र की ओर चलो
बंधनों को तुम तोड़ चलो
मेरा तेरा, तेरा मेरा
ये विघटन के साये हैं
हम वीर शिवा के जाये हैं.............

माँ को गौरव दिलाने को
देवों को सोम पिलाने को
अपना सर्वस्व अब हम होम करें
निज भय का अब हम लोम करें
त्याग परंपरा की हमें शपथ
भामशाह ने दिलवाये हैं
हम वीर शिवा के जाये हैं
हम धीर प्रताप के जाये हैं।।

3 comments:

  1. बहुत बढ़िया समित बाबू 👌👍

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    1. धन्यवाद सर

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    2. बहुत बढ़िया पर सर पर कुछ हिंदी मेरे समझ में नहीं आया सुद्ध हिंदी है।

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