क्या कहा!!!!
क्या कहा कि राजा टूट गया?
क्या सौभाग्य देश का फूट गया?
राजा तो सकल यशस्वी था
लगभग वो एक तपस्वी था
प्रजा का बड़ा दुलारा था
स्वजनों का भी प्यारा था
जिसके पास हो चतुरंगिनी सेना
पौरूष उसका कैसे छूट गया?
क्या कहा कि राजा टूट गया?..........
कोटी कोटी मनुज जिसकी जय बोलें
स्वयम् विश्वनाथ जिसके सहाय हो लें
जिसकी गर्जना से दिग्गज डोलें
जिसकी ऊर्जा से हम सब बोलें
उसके प्रहरी रहते रहते भी
रावण अयोध्या कैसे लूट गया?
क्या कहा कि राजा टूट गया?..........
राजा को है क्या संताप
कोई याद दिलाये प्रताप
जिसने सेवा का प्रण लिया था
राष्ट्र सम्मान हेतू रण किया था
फिर राष्ट्रद्रोहियों के बदले
क्यों ऊर अपना ही वो कूट गया?
क्या कहा कि राजा टूट गया?..........
नृप जो रिपु के आगे घुटने टेके
सो जाये निश्चिंत करवट लेके
क्या वो चक्रवर्ती कहलायेगा?
या यश वो अपवर्ती हो जायेगा?
द्रोहियों पर तु कोप कर, जिनके
पाप का घड़ा अब फूट गया
क्या कहा कि राजा टूट गया?..........
मैं अकिंचन हाँ मैं अनाम
आह्वान तेरा मैं करूँ क्या
तु महादेव का ध्यान कर
उठा गांडिव, संधान कर
पुनः आज हूँकार कर तू
कि सोमनाथ कोई फिर लूट गया
क्या कहा कि राजा टूट गया?..........
सुखमय भविष्य बतलाया तुमने
विश्वगुरू का स्वप्न दिखलाया तुमने
वंदे मातरम का जयघोष कर के
विजयी भव का उद्घोष कर के
ना कहे कोई कि वो स्वप्न टूट गया
क्या कहा कि राजा टूट गया?..........
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